19.5.11

फोटो गूगल से साभार

कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं.  
कितने फूलों ने भँवरे को निमंत्रण दिया, एक तुम्हारे सिवा कोई जंचता नहीं.
खुशबूओं से रचा है बदन ये तेरा, 
तू रहती है फूलों की हर डाल में .
मुस्कुरा के  पलटकर जो देखोगी तुम, 
कैसे दिल चुप रहेगा इस हाल में.

तुम संभालोगे फिर भी न संभलेगा दिल, जोर इसपर किसी का भी चलता नहीं.
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं. 
तुमने छू ली है जबसे ऊँगली मेरी, 
मैं तब से नशे में हूँ डूबा हुआ.  
चाँद सूरज कभी मिल सकते नहीं, 
हम तुम मिले यह अजूबा हुआ.

वो दिल नहीं कोई पत्थर ही होगा, सुन के ये बात दिल गर धड़कता नहीं.
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं. 
तुझसी मीठी नहीं है ज़माने की बोली,
तंज़ होता है  इसके हर बात में.
कौन देता है ज़ख्मों को मरहम यहाँ?
लोग बैठे हैं लेकर नमक हाथ में.

दिल के ज़ख्मों को तुम न दिखाओ कभी, कौन होगा जो इस पर हँसता नहीं.
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं 
प्यार जब भी करो डूब कर के करो,
कुछ कमी इसमें फिर रहने न पाए.
तुमने पलकें भिगोई दिल को दुखाया 
कोई तुमसे ये फिर कहने न पाए.

सागर से साहिल का तुम इश्क देखो, है लहरों में डूबे  पर दम घुटता नहीं .
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं.


16.5.11


तेरी तस्वीर भी मुझसे रू-ब-रू नहीं होती
भले मैं रो भी देता हूँ गुफ्तगू नहीं होती
तुझे मैं क्या बताऊँ जिंदगी में क्या नहीं होता 
ईद पर भी सवईयों में तेरी खुशबू नहीं होती

जिसे देखूं , जिसे चाहूं, वो मिलता है नहीं मुझको
हर एक सपना मेरा हर बार चकना-चूर होता है
ज़माने भर की सारी ऐब मुझको दी मेरे मौला 
मैं जिसके पास जाता हूँ, वो मुझसे दूर होता है.

दिल में हो अगर गम तो छलक जाती है ये आँखें 
ये दिल रोए, हँसे आँखे हमेशा यूं नहीं होता
ज़माने भर की सारी ऐब मुझको दी मेरे मौला
किसी पत्थर को भी छू दूं , वो मेरा क्योँ नहीं होता?

गीत में स्वर नहीं मेरे ग़ज़ल बिन ताल गाता हूँ
अगर सुर को मनाऊँगा, तराना रूठ जाएगा,,,
ये कैसी कशमकश उलझन मुझे दे दी मेरे मौला 
अगर तुमको मनाऊँगा, ज़माना रूठ जाएगा.