8.10.14

The feeling of being in love is so intense that one starts believing that it will last forever. Really love is mysterious and so is destiny.
With the same mystery of love and destiny we bring before you a story of passionate love. A story of destiny and desire as never told before.
Accident : a love story is an upcoming novel of Shakeel Samar, which holds the emotion in it to activate the lover in you.

29.6.14

एक तरही गजल -

हरेक सिम्त शजर के सिवा कुछ और नहीं
मेरी तलब है ख़िज़र के सिवा कुछ और नहीं

नजर की ज़द में लहर के सिवा कुछ और नहीं
मगर तलाश गुहर के सिवा कुछ और नहीं

हरेक रोज की उलझन है और दुश्वारी
हयात जैसे बहर के सिवा कुछ और नहीं

जला के बस्तियां संसद में चींखता है वो
हमें तो फिक्र-ए-बशर के सिवा कुछ और नहीं

हरा-भरा है मगर ये शजर कटेगा जरूर
सभी को शौक़-ए-समर के सिवा कुछ और नहीं

तुम्हारे पास 'पहुंच' भी है और 'पैसा' भी
हमारे पास हुनर के सिवा कुछ और नहीं

किया जो इश्क तो ये राज भी खुला हम पर
'हयात सोज़-ए-जिगर के सिवा कुछ और नहीं'

बुरा न मानो तो इक बात मैं कहूं तुमसे
तेरी ये बिंदी क़मर के सिवा कुछ और नहीं

तुम्हारी आंखें मुझे लग रहीं हैं मयखाने
ये जाम तेरी नजर के सिवा कुछ और नहीं

सही था फैसला तेरा कि मुझसे दूर हुए
'शकील' एक भंवर के सिवा कुछ और नहीं

-शकील समर

18.3.14

''भारतीय महिला हाकी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि खिलाडिय़ों को इसमें अपना भविष्य नजर नहीं आता। ऐसे में वह इस खेल के प्रति आकर्षित हों भी तो कैसे। रेलवे महिला हाकी खिलाडिय़ों को नौकरी देता है, पर यह काफी नहीं है। जरूरी है कि हर राज्य की सरकार खिलाडिय़ों को अलग-अलग पोस्ट पर भर्ती करे, ताकि महिलाएं हाकी खेलने को लेकर प्रेरित हों।" यह कहना है भारतीय महिला हाकी टीम की पूर्व कप्तान और 'गोल्डन गर्ल' के नाम से मशहूर ममता खरब का। अपने समय की बेहतरीन फारवर्ड ममता इन दिन भोपाल में चल रही चौथी सीनियर राष्ट्रीय महिला हाकी चैंपियनशिप में बतौर चयनकर्ता आई हुई हैं। रविवार को ऐशबाग स्टेडियम में राजस्थान और दिल्ली के बीच खेले जा रहे मैच पर ममता अन्य चयनकर्ताओं के साथ मैच पर कड़ी नजर बनाए हुई थी। हाफ टाइम के दौरान उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत में कहा कि महिला हाकी धीरे-धीरे ऊपर उठ रही है। 2002 कामनवेल्थ गेम्स में गोल्डन गोल दागने वाली इस खिलाड़ी ने खिलाडिय़ों के भविष्य के बारे में चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राज्य सरकार को खिलाडिय़ों को नौकरी देनी चाहिए। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें हरियाणा सरकार ने डीएसपी के पद पर भर्ती किया। अगर इस तरह की पहल हर राज्य में हो तो इससे महिला हाकी को काफी बढ़ावा मिलेगा। हाल ही में अनुशासनहीनता के कारण रेलवे के 16 खिलाडिय़ों को निलंबित किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि खेल में अनुशासन तो होना ही चाहिए। हाकी इंडिया के इस कदम से खिलाडिय़ों को कड़ा संदेश जाएगा।

बी डीविजन से भी निकलेंगे खिलाड़ी
टूर्नामेंट के बाद आगामी चैंपियन चैलेंज और एशियन गेम्स के लिए टीम का चयन होना है। ममता ने कहा कि बी डीविजन के ज्यादातर मुकाबले भले ही एकतरफा हो रहे है पर इससे भी कई खिलाड़ी निकलेंगे। उन्होंने कहा कि मैच में गोल करने से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है कि खिलाड़ी का एप्रोच कैसा है। उन्होंने राजस्थान-दिल्ली के बीच चल रहे मैच का उदाहरण देते हुए कहा कि राजस्थान की सुनीता अच्छे पास दे रही थी। यह अलग बात है कि पूरा सपोर्ट न मिलने के कारण गोल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि टीम भले ही बड़े अंतर से हारे, पर उसमें एक-दो ऐसे खिलाड़ी तो होते ही हैं जो अपने स्किल से प्रभावित करते हैं।

मेरा कभी किसी फारवर्ड से खुन्नस नहीं रहा
2007 की सुपर हिट फिल्म चक दे इंडिया में कोमल चौटाला के चरित्र को ममता खरब के माडल पर ही विकसित किया गया था। फिल्म में दिखाया गया है कि कोमल का अपने ही टीम की एक अन्य फारवर्ड खिलाड़ी से खुन्नस रहती है और वह उसे पास नहीं देती है। इस पर ममता मुस्कुराते हुए कहती है कि मेरा कभी साथी खिलाड़ी के साथ इस तरह का खुन्नस नहीं रहा। फिल्म में तो नाटकीयता परोसी गई है। जब मैं हाकी खेलती थी तो मेरी कोशिश मूव बनाने की और ज्यादा से ज्यादा पास देने की होती थी। ममता कहती है कि कोई खिलाड़ी इसलिए महान नहीं होता कि उन्होंने कितने गोल किए हैं, बल्कि इसलिए महान होता है कि उनकी पासिंग स्किल कैसी है।

15.3.14

अंतरराष्ट्रीय हाकी अंपायर निर्मला डागर।
भोपाल में चल रही चौथी हाकी इंडिया सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में महिला खिलाड़ी तो मैदान पर अपना जौहर दिखा ही रही है, साथ ही कुछ महिला अंपायर भी मैदान पर अपनी भूमिका निभा रही है। टूर्नामेंट डायरेक्टर शकील कुरैशी कहते हैं कि इस समय सीनियर पुरुष और जूनियर महिला के भी राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित किए जा रहे हैं। इसलिए अंपायर की कमी के कारण भोपाल में चल रहे टूर्नामेंट में पुरुषों के साथ-साथ महिला अंपायरों की भी सेवाएं ली जा रही हैं। उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट में कुल 8 महिला अंपायर हैं, जिनमें से 2 अंपायर अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैं। ऐसी ही एक महिला अंपायर हैं हरियाणा की निर्मला डागर। निर्माला कभी हरियाणा टीम में अपने समय की बेहतरीन मिडफील्डर हुआ करती थी। उनका बस एक ही सपना था- भारतीय टीम के लिए खेलना। पर उनका यह सपना साकार नहीं हो सका। आखिरकार उन्होंने अंपायर बनकर इस कमी को पूरा किया। निर्मला बताती है कि वह भारतीय टीम में जगह बनाने के बेहद करीब थी, पर शादी हो जाने के बाद उनके खेल करियर को गहरा झटका लगा। चेहरे पर अफसोस भरी मुस्कान लिए निर्मला कहती है, ''उस वक्त अगर मेरी शादी नहीं हुई होती तो मैं भारत के लिए जरूर खेलती। हालांकि शादी के बाद भी मैंने हॉकी खेलना जारी रखा और दिल्ली के लिए खेलने लगी। पति ने काफी सपोर्ट भी किया, पर मेरे खेल पर असर तो पड़ा ही।'' निर्मला ने इसके बाद अंपायर बनने की दिशा में प्रयास किया। 2006 से उन्होंने अंपायरिंग शुरू की। वर्ल्ड लीग और दो बार एशियन चैंपियंस ट्राफी में अंपायरिंग कर चुकी निर्मला कहती है कि आज मैं बतौर अंपायर भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं, जो देश के लिए हाकी न खेल पाने के दर्द को कम कर देता है। निर्मला कहती है, ''मैं हाकी खेल कर देश का प्रतिनिधित्व करना चहती थी। जब यह सपना टूट गया तो मैंने अंपायर बनकर देश का प्रतिनिधित्व करने की ठानी और मैं इसमें सफल रही।''

14.3.14

पलकों से आसमां पर एक तस्वीर बना डाली
उस तस्वीर के नीचे एक नाम लिख दिया;
फीका है इसके सामने चाँद ये पैगाम लिख दिया

सितारों के ज़रिये चाँद को जब ये पता चला
एक रोज़ अकेले में वो मुझसे उलझ पड़ा
कहने लगा कि आखिर ये माजरा क्या है
उस नाम और चेहरे के पीछे का किस्सा क्या है.

मैं ने कहा- ऐ चाँद क्यूं मुझसे उलझ रहा है तूं
टूटा तेरा गुरूर तो मुझ पर बरस रहा है तूं.
वो तस्वीर मेरे महबूब की है, ये जान ले तूं
तेरी औकात नहीं उसके सामने, यह मान ले तूं.

ये सुन के चाँद ने गुस्से में ये कहा-
अकेला हूँ कायनात में, तुझे शायद नहीं पता.
लोग मुवाजना करते हैं मुझसे अपनी महबूब का
चेहरा दिखता है मुझ में हरेक को अपनी माशूक का.

मैंने कहा- ऐ चाँद चल तेरी बात मान लेता हूँ,
पर तेरे हुस्न का जायजा मैं हर शाम लेता हूँ
मुझे लगता है आइना तुने देखा नहीं कभी
एक दाग है तुझमें जो उस चेहरे मैं है नहीं

यह सुन के चाँद बोला ये मोहब्बत कि निशानी है
इसके ज़रिये मिझे नीचा न दिखाओ ये सरासर बेमानी है
जिस शाम लोगों को मेरी दीद नहीं होती
अगले रोज़ तो शहर में ईद नहीं होती

मैंने कहा ऐ चाँद, तू ग़लतफ़हमी का है शिकार
सच्चाई ये है कि तूं मुझसे गया है हार
एक रोज़ मेरा महबूब छत पर था और शाम ढल गयी
अगले दिन शहर में ईद कि तारीख बदल गयी.

ये आखरी बात ज़रा ध्यान से सुनना
हो सके तो फिर अपने दिल से पूछना

यह एक हकीक़त है कोई टीका टिप्पणी नहीं है
जिस चांदनी पे इतना गुरूर है तुझको,
वो रौशनी भी तो तेरी अपनी नहीं है
वो रौशनी भी तो तेरी अपनी नहीं है.....

13.3.14

सुकून दिल को न मिलता किसी बहाने से
बहुत उदास हो जाता हूं तेरे जाने से

नहा रहा है पसीने से फूल बागों में
चटक रही है कली उसके मुस्कुराने से

फिर एक बार इरादा किया है मिटने का
ये बात जा के कोई कह तो दे जमाने से

जवान बेटी की शादी की फिक्र है शायद
वो रात को भी न आता है कारखाने से

शहर में जुल्म हुआ किस तरह से दीपों पर
'इक आफताब के बेवक्त डूब जाने से'

लिखोगी रोज मुझे खत ये तय हुआ था पर
खबर न आज भी आई है डाकखाने से

‘शकील’ और न रुसवा हो अब जमाने में
कि बाज आ भी जा अब तू फरेब खाने से
—शकील जमशेदपुरी