15.3.14

अंतरराष्ट्रीय हाकी अंपायर निर्मला डागर।
भोपाल में चल रही चौथी हाकी इंडिया सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में महिला खिलाड़ी तो मैदान पर अपना जौहर दिखा ही रही है, साथ ही कुछ महिला अंपायर भी मैदान पर अपनी भूमिका निभा रही है। टूर्नामेंट डायरेक्टर शकील कुरैशी कहते हैं कि इस समय सीनियर पुरुष और जूनियर महिला के भी राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित किए जा रहे हैं। इसलिए अंपायर की कमी के कारण भोपाल में चल रहे टूर्नामेंट में पुरुषों के साथ-साथ महिला अंपायरों की भी सेवाएं ली जा रही हैं। उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट में कुल 8 महिला अंपायर हैं, जिनमें से 2 अंपायर अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैं। ऐसी ही एक महिला अंपायर हैं हरियाणा की निर्मला डागर। निर्माला कभी हरियाणा टीम में अपने समय की बेहतरीन मिडफील्डर हुआ करती थी। उनका बस एक ही सपना था- भारतीय टीम के लिए खेलना। पर उनका यह सपना साकार नहीं हो सका। आखिरकार उन्होंने अंपायर बनकर इस कमी को पूरा किया। निर्मला बताती है कि वह भारतीय टीम में जगह बनाने के बेहद करीब थी, पर शादी हो जाने के बाद उनके खेल करियर को गहरा झटका लगा। चेहरे पर अफसोस भरी मुस्कान लिए निर्मला कहती है, ''उस वक्त अगर मेरी शादी नहीं हुई होती तो मैं भारत के लिए जरूर खेलती। हालांकि शादी के बाद भी मैंने हॉकी खेलना जारी रखा और दिल्ली के लिए खेलने लगी। पति ने काफी सपोर्ट भी किया, पर मेरे खेल पर असर तो पड़ा ही।'' निर्मला ने इसके बाद अंपायर बनने की दिशा में प्रयास किया। 2006 से उन्होंने अंपायरिंग शुरू की। वर्ल्ड लीग और दो बार एशियन चैंपियंस ट्राफी में अंपायरिंग कर चुकी निर्मला कहती है कि आज मैं बतौर अंपायर भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं, जो देश के लिए हाकी न खेल पाने के दर्द को कम कर देता है। निर्मला कहती है, ''मैं हाकी खेल कर देश का प्रतिनिधित्व करना चहती थी। जब यह सपना टूट गया तो मैंने अंपायर बनकर देश का प्रतिनिधित्व करने की ठानी और मैं इसमें सफल रही।''

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