4.12.10

 अपने वजूद को दर्द से सजाए रखते हैं
 दिल जलाते हैं और शम्मा बुझाए रखते हैं

ये मेरे रात भर रोने की गवाही है
पत्तियों पर शबनम का जो पहरा है
इतनी सी बात कब समझेंगे वो  
जख्म दिल का तेरे प्यार से गहरा है

फिर भी तेरी तस्वीर दिल में समाए रखते हैं
दिल जलाते हैं और शम्मा बुझाए रखते हैं

रात भर मैंने जो आसमां की निगहबानी की
चांद और तेरे हुस्न की आजमाइश में
और तुम जो जागती रही रात भर 
खलल पड़ता रहा सितारों की नुमाइश में

अब तेरी तस्वीर को पलकों में छुपाए रखते हैं
दिल जलाते हैं और शम्मा बुझाए रखते हैं

हम समझते थे वो समझती है खामोशी की जुबां
अब उनके समझ की इंतेहा हो गई
चुप रहने को बेहतर समझते रहे "शकील"
तेरी यही खामोशी एक दास्तां हो गई

जागते अरमां को अब सुलाए रखते हैं
दिल जलाते हैं और शम्मा बुझाए रखते हैं

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