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| फोटो गूगल के सौजन्य से! |
चिंगारी शोलों में भी है, भड़कता है तेरे खातिर
बेशर्मी चांद की देखो ये तकता है तुझे अब तो
बेशर्मी इस दिल की देखो, धड़कता है तेरे खातिर
तेरा चेहरा जो देखे तो चांद लेता है अंगड़ाई
बहुत सुनते थे चर्चा फूल, कलियां और शबनम की
गजब ढाता है यह मुझपर तेरा पलकें छुकाना भी
मुझे हर एक पन्ने में तेरा चेहरा झलकता है
पढूं कोई कहानी या पढूं कोई फसाना भी
दिखावा दिल मिलाने का भला यह खेल है कैसा!
हुनर हमको भी आता है मगर करते नहीं वैसा
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12:57 pm
शकील समर

