''भारतीय महिला हाकी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि खिलाडिय़ों को इसमें अपना भविष्य नजर नहीं आता। ऐसे में वह इस खेल के प्रति आकर्षित हों भी तो कैसे। रेलवे महिला हाकी खिलाडिय़ों को नौकरी देता है, पर यह काफी नहीं है। जरूरी है कि हर राज्य की सरकार खिलाडिय़ों को अलग-अलग पोस्ट पर भर्ती करे, ताकि महिलाएं हाकी खेलने को लेकर प्रेरित हों।" यह कहना है भारतीय महिला हाकी टीम की पूर्व कप्तान और 'गोल्डन गर्ल' के नाम से मशहूर ममता खरब का। अपने समय की बेहतरीन फारवर्ड ममता इन दिन भोपाल में चल रही चौथी सीनियर राष्ट्रीय महिला हाकी चैंपियनशिप में बतौर चयनकर्ता आई हुई हैं। रविवार को ऐशबाग स्टेडियम में राजस्थान और दिल्ली के बीच खेले जा रहे मैच पर ममता अन्य चयनकर्ताओं के साथ मैच पर कड़ी नजर बनाए हुई थी। हाफ टाइम के दौरान उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत में कहा कि महिला हाकी धीरे-धीरे ऊपर उठ रही है। 2002 कामनवेल्थ गेम्स में गोल्डन गोल दागने वाली इस खिलाड़ी ने खिलाडिय़ों के भविष्य के बारे में चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राज्य सरकार को खिलाडिय़ों को नौकरी देनी चाहिए। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें हरियाणा सरकार ने डीएसपी के पद पर भर्ती किया। अगर इस तरह की पहल हर राज्य में हो तो इससे महिला हाकी को काफी बढ़ावा मिलेगा। हाल ही में अनुशासनहीनता के कारण रेलवे के 16 खिलाडिय़ों को निलंबित किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि खेल में अनुशासन तो होना ही चाहिए। हाकी इंडिया के इस कदम से खिलाडिय़ों को कड़ा संदेश जाएगा।
बी डीविजन से भी निकलेंगे खिलाड़ी
टूर्नामेंट के बाद आगामी चैंपियन चैलेंज और एशियन गेम्स के लिए टीम का चयन होना है। ममता ने कहा कि बी डीविजन के ज्यादातर मुकाबले भले ही एकतरफा हो रहे है पर इससे भी कई खिलाड़ी निकलेंगे। उन्होंने कहा कि मैच में गोल करने से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है कि खिलाड़ी का एप्रोच कैसा है। उन्होंने राजस्थान-दिल्ली के बीच चल रहे मैच का उदाहरण देते हुए कहा कि राजस्थान की सुनीता अच्छे पास दे रही थी। यह अलग बात है कि पूरा सपोर्ट न मिलने के कारण गोल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि टीम भले ही बड़े अंतर से हारे, पर उसमें एक-दो ऐसे खिलाड़ी तो होते ही हैं जो अपने स्किल से प्रभावित करते हैं।
मेरा कभी किसी फारवर्ड से खुन्नस नहीं रहा
2007 की सुपर हिट फिल्म चक दे इंडिया में कोमल चौटाला के चरित्र को ममता खरब के माडल पर ही विकसित किया गया था। फिल्म में दिखाया गया है कि कोमल का अपने ही टीम की एक अन्य फारवर्ड खिलाड़ी से खुन्नस रहती है और वह उसे पास नहीं देती है। इस पर ममता मुस्कुराते हुए कहती है कि मेरा कभी साथी खिलाड़ी के साथ इस तरह का खुन्नस नहीं रहा। फिल्म में तो नाटकीयता परोसी गई है। जब मैं हाकी खेलती थी तो मेरी कोशिश मूव बनाने की और ज्यादा से ज्यादा पास देने की होती थी। ममता कहती है कि कोई खिलाड़ी इसलिए महान नहीं होता कि उन्होंने कितने गोल किए हैं, बल्कि इसलिए महान होता है कि उनकी पासिंग स्किल कैसी है।