लगता है हॉकी के गढ़ में ही हॉकी की पूछ-परख नहीं है। भोपाल ने देश को एक से बढ़कर एक हॉकी खिलाड़ी दिए हैं, हॉकी का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है, भोपालवासियों का हॉकी के साथ भावनात्मक बंधन बेहद शसक्त है, यहां हॉकी दिवानगी नहीं बल्कि जुनून है, इसके बावजूद भोपाल फ्रेंचाइजी के लिए कोई आगे नहीं आ रहा..
मोहम्मद शकील, भोपालशाम के साथ बजते ही पुल बोगदा से ऐशबाग स्टेडियम की सड़कों पर गहमागहमी। दुधिया रौशनी में नहाए स्टेडियम से आसमान में दूर तक उठती रौशनी लोगों को स्टेडियम में आने का मूक निमंत्रण देती थी। हर गोल पर ‘दे घुमा के..’ की धुन पर स्टेडियम में थिरकते दर्शक भोपाल को हॉकी की नर्सरी होने का अहसास दिलाते थे। यह नजारा हुआ करता था विश्व सीरीज हॉकी के दौरान जब भोपाल बादशाह अपने घरेलू मैदान पर खेला करती थी। लोगों को उम्मीद थी कि हॉकी इंडिया द्वारा शुरू हो रहे हॉकी इंडिया लीग में भोपाल की टीम जरूर नजर आएगी। ऐसा लगता है कि भोपालवासियों की इस उम्मीद को पंख नहीं लग पाएंगे।
अगले साल जनवरी में होने वाले बहुप्रतीक्षित हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) में भोपाल फ्रेंचाइजी आधारित टीम के दिखने की संभावना बेहद धुंधला गई है। हॉकी इंडिया द्वारा आयोजित इस लीग में छह शहरों की फ्रेंचाइजी आधारित कुल छह टीमें हिस्सा लेंगी। इनमें से 4 की घोषणा हॉकी इंडिया द्वारा कर दी गई है। ये है- लखनऊ, रांची, पंजाब और दिल्ली। हॉकी इंडिया के विश्वस्त सूत्रों की माने तो पांचवीं टीम चेन्नई भी तय मानी जा रही है। यानी अब सिर्फ एक टीम बची है और भोपाल, बेंगलुरू और मुंबई के बीच इस एक स्थान के लिए मुकाबला है।
''हम चाहते हैं कि लीग में भोपाल की टीम हो। पर यह हमारे हाथ में नहीं है। इसके लिए जरूरी है कोई फेंचाइजी के लिए आगे आए। भोपाल को लीग में शामिल कर हमें खुशी होगी। ''
नरेंदर बत्र, चेयरमेन, हॉकी इडिया लीग।